क्रेडिट सुइस बैंक के बर्बादी के कारण इस बैंक के बोंडधारको को भी 1.41 लाख करोड़ का नुकसान हुआ है। इस नुकसान को देख कर भारत में कई लोगो Yes Bank की याद आने लगी। Yes Bank के भी AT-1 Bonds धारकों को साल 2020 में ऐसा ही झेलना पड़ा था। आज भी Yes Bank के भी AT-1 Bonds धारक अपने पैसे वापिस से प्राप्त करने के लिए कोर्ट के चक्कर ही लगा रहे है।
क्रेडिट सुइस स्विजरलैंड का दूसरा सबसे बड़ा बैंक है। स्विजरलैंड की सरकार ने इस बैंक को बचाने के लिए जो डील कराई है। उसके अनुरूप बैंक को एडिशनल टियर 1 बॉन्ड्स को बट्टे खाते में डालने के आदेश दिए है। इसका मतलब यह है कि क्रेडिट सुइस बैंक के AT-1 Bonds खरीदने वाले इन्वेस्टर को बैंक अब कोई भी ब्याज नही देगी।
क्या होता है AT-1 Bonds ?
यह AT-1 Bonds वो बॉन्ड्स होते है जिनकी मैच्योरिटी को कोई भी अवधि नही होती है। यह एक तरह का सिक्योर बॉन्ड होता है जिसके कारण आपको ब्याज भी थोड़ा अधिक प्राप्त होता है। इस तरह के AT-1 Bonds को इस शर्त के लिए भी हामी भरनी होती हैं कि अगर बैंक आर्थिक रूप से परेशान है तो वो उस समय उन्हें ब्याज का भुगतान नहीं करेगा। जब किसी बैंक की आय एक निचले तय सीमा से नीचे चली जाती है तो बैंक AT-1 Bonds के इन्वेस्टर्स के साथ ऐसा कर सकता है।
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भारत में लोगो को क्यों आई Yes Bank की याद ?
साल 2020 में रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने Yes Bank को रिस्ट्रक्चरिंग स्कीम के तहत AT-1 Bonds को राइट ऑफ करने का निर्देश दिया था। जिसके बाद Yes Bank ने AT-1 Bonds के 8,415 करोड़ की वैल्यू को जीरो कर दिया था।रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने यह निर्देश Yes Bank को बर्बाद होने से बचाने के लिए दिया था। जिसके बाद बॉन्ड धारक हाई कोर्ट में अपील करने गए। जिसके बाद Yes Bank के फैसले को कोर्ट ने खारिज कर दिया लेकिन अब यह केस सुप्रीम कोर्ट में चल रहा है।
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